जावेदनामा
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तेरी यादों की सुनहरी धुप
जो एक जश्न है मेरी ज़िन्दगी का
जो गीली रेत पर छोड़ के अपने निशां
लिखती जाती है कोई गीत ख़ुशी का
वो तेरे साथ बिताये हर लम्हें
दिल की धड़कन में कोई साज़ छेड़ जाता है
आज भी देती हैं जब दस्तक तुम्हारी यादें
तेरा अक्स नगमों में बदल जाता है
मैं नही जानता
की ये यादें ना होती तो क्या होता
शायद मेरी ज़िन्दगी में एक खला होता
मगर मैं ये जानता हु
ना कोई खुशनुमा सरगम का फलसफा होता
ना ज़िन्दगी जीने का मायना होता
हाँ,
ये यादें,एक जश्न हैं मेरी ज़िन्दगी का
जो लिखती जाती हैं कोई गीत ख़ुशी का
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