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वो रहबर है या रहजन है खुदा जाने……

जावेदनामा
जावेदनामा
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वो रहबर है या रहजन है खुदा जाने.
लिए वो हाथ में नश्तर है खुदा जाने.

जलाये थे दीये रोशनी के लिए हमने तो
फिर भी अंधेरों का समंदर है खुदा जाने

वफ़ा की उम्मीद भला करते भी तो कैसे
ये तो बेईमानों का शहर है अब खुदा जाने

चन्द बूंदों से मिटाओगे भला प्यास कैसे
हर तरफ तपिश का कहर है खुदा जाने

चले थे जिसके पीछे हम उम्मीद लगाये
उसे बस अपनी ही फिकर है खुदा जाने

बचाओगे कब तलक ईमान की दौलत
सब की तुझ पे ही नज़र है खुदा जाने

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