जावेदनामा
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मैं होली हूँ..
बसंत का सौन्दर्य लिए,
रंग अबीर गुलाल संग,
करती मैं अटखेली हूँ.
मैं होली हूँ.
फाग धमार की चले फुहार,
छम छम नाचत आये बहार.
ढोल मंजीरों के रंग रंगी,
खुशियों की मैं सहेली हूँ.
मैं होली हूँ.
ईद-ए-गुलाबी कह गया कोई,
कोई आब-ए-पाशी जाने है.
सारी दुनिया में फैली हूँ,
अमन की रंग रंगोली हूँ
मैं होली हूँ.
मानव मनु का जन्म दिवस
या नृहसिंग का अवतार
नये संवत् की आशाएं लिए
नई किरणों सी रूपहली हूँ
मैं होली हूँ.
रंग अनेक प्रथाएं अनेक,
पर संदेशा मेरा है एक.
प्रेम आनन्द और भाईचारा
की पहनी मैं चोली हूँ
मैं होली हूँ.
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