जावेदनामा
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है अजब ही इसकी रवायतें
बसी रूह मे बन के आयते
जो मिटाए मिट ना सके कभी
एक कशिश सी अपने पन की है
ये खूशबू मेरे वतन की है…..
कुछ गर्दिशें कुछ दुश्वारियाँ
जो बड़ा गई थोड़ी दूरियाँ
भला तोड़े से भी ना टूटेगा
यहा रिश्तो मे ऐसी लगान सी है
ये खूशबू मेरे वतन की है…..
है म्यस्सर कहा ये भोलापन
जहा गैरों के दर्द पे हो चुभन
यहा ज़ूबा पे लूटा दे जानो तन
प्यार की कुछ ऐसी चलन सी है
ये खूशबू मेरे वतन की है…..
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