जावेदनामा
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कहवां छुटल उ दुपहरिया, कहवां छुटल पिपरा क छांव
काहें अईलीं हम परदेश रे माई, बहुत याद आवेला गाँव
उ लखनी क खेल निराला, उ पोखरी किनारे क फेरा
जाड़ा के रुत में जब जमत रहल कउड़ा क लागे डेरा
याद बा हमके कईसे मारत रहली हमहु कबड्डी में दांव
काहें अईलीं हम परदेश रे माई, बहुत याद आवेला गाँव
थोडा पईसा अऊर शोहरत क माया माटी से कईलस दूर
जीयरा तडपेला हर घडी, जाने कईसन भईलीं हम मजबूर
चूमे खातिर अपने धरती क माटी हर पल मचलेला पाँव,
काहें अईलीं हम परदेश रे माई, बहुत याद आवेला गाँव
दुःख से मन तड़प उठेला लोगवा भागत बाटें शहरिया ओर
हमसे इ गुनाह भईल बा की छुटल हाथे से गाऊँवा क डोर
शहर त इक धोखा बा भईया, गाँव है माँ के ममता क छांव
काहें अईलीं हम परदेश रे माई, बहुत याद आवेला गाँव
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